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सुषमा स्वराज के जीवन की वो सारी जानकारी जो आपको पता नहीं होंगी.

आज महिलाएं घर के साथ-साथ देश के विकास में भी योगदान दे रही है।

जिन महिलाओं को घर को भी लड़ाई में नहीं भेजा जाता था। जिन्हें विदेश जाना तो दूर घर से बाहर नहीं जाने दिया जाता था। वो देश संभाल रही है। और इसे बेहतर उदाहरण क्या हो सकता कि आज हमारे देश की रक्षा मंत्री भी एक महिला है और विदेश मंत्री भी महिला है।
Sushma Swaraj+ लंबे समय से राजनीति में सक्रिय है। सुषमा स्वराज उन चंद महिलाओं में से एक है जिन्होंने घर और देश की जिम्मदारियों को बखूबी निभाया। साथ ही महिलाओँ के लिए एक उदाहरण बनी।
                                        

Sushma Swaraj Biography

सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी 1952 में अम्बाला में हुआ था। सुषमा स्वराज के पिता श्री हरदेव शर्मा राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के प्रमुख सदस्य थे। जिस वजह से सुषमा स्वराज ने अपने आसपास संघ और राजनीति का असर शुरु से देखा। हालांकि सुषमा स्वराज ने अपने पिता से अलग अपने दम पर अपनी पहचान बनाई।
                   

Sushma Swaraj Education

सुषमा स्वराज ने अम्बाला छावनी के एस.डी कॉलेज से बीए की पढ़ाई करने के बाद पंजाब यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री ली। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान अपनी सोच और हर बात को कहने की आदत ने उन्हें सर्वोच्चन वक्ता का सम्मान मिला। यही नहीं सुषमा स्वराज कॉलेज के दिनों में एनसीसी की सर्वोच्च कैडेट भी रही। सुषमा को लगातार 3 साल तक राज्य की सर्वोच्च वक्ता का सम्मान भी मिला।


                       

Sushma Swaraj Political Career

उन दिनों देश में आपातकाल लगा था और जयप्रकाश नारायण आपातकाल के पुरजोर विरोधी थे। आपतकाल से लोगों की स्थिति को बहुत खराब थी। इसी को देखते हुए सुषमा स्वराज ने भी जयप्रकाश नारायण के आंदोलन का हिस्सा बने का फैसला लिया। सुषमा स्वराज ने इस आन्दोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।
इसके बाद सुषमा स्वराज का राजनीतिक सफर शुरु हुआ। उन्होनें जनसंघ पार्टी को ज्वाइन किया जिसे आज भारतीय जनता पार्टी के नाम से जाना जाता है।
राजनीति में आने से पहले सुषमा स्वराज ने सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता के पद पर भी काम किया। सुषमा स्वराज को राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता बनने का सम्मान भी प्राप्त है। सुषमा स्वराज 1977 पहली बार हरियाणा विधानसभा की सदस्य चुनी गई।
इस दौरान उन्हें हरियाणा सरकार में श्रम रोजगार मंत्री बनाया गया। इसके बाद साल 1988 में सुषमा स्वराज को एक बार फिर हरियाणा विधानसभा सदस्य चुना गया। इस बार उन्हें शिक्षा खाद्य और नागरिक मंत्री चुना गया।
साल 1990 में सुषमा स्वराज पहली बार राज्यसभा की सदस्य चुनी गई। इसके बाद साल 1996 में सुषमा स्वराज लोकसभा सदस्य चुनी गई। 1996 में बनी केंद्र सरकार में सुषमा स्वराज को सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय सौंपा गया। इसके बाद साल 1998 में वह दिल्ली की मुख्यमंत्री बनी।
सुषमा स्वराज देश की राजधानी दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी। हालांकि कुछ समय बाद ही उन्होनें दिल्ली विधानसभा पद से इस्तीफा दे दिया और लोकसभा सदस्य का पद जारी रखा। इसके बाद 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में उन्हें दोबारा सूचना एंव प्रसारण मंत्री चुना गया।इसके बाद जब भी भाजपा की सरकार केंद्र में आई। सुषमा स्वराज को उनकी काबलियत को देखते हुए अहम मंत्रालय सौंपा गया।
मौजूदा समय में सुषमा स्वराज हरियाणा की विदिशा सीट से लोकसभा सदस्य हैं। साथ ही विदेश मामलों में संसदीय स्थायी समिति की अध्यक्षा भी है। सुषमा स्वराज को उनकी स्ट्रॉन्ग पर्सनैलिटी के लिए जाना जाता है। जो गलत पर किसी के भी खिलाफ बोलने से नहीं झिझकती है।
                                    

Sushma Swaraj Achievements

                      
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के नाम कई रिकॉर्ड दर्ज है। सुषमा स्वराज तीन साल तक राज्य की प्रवक्ता रही है। राजनीति में आने के बाद सुषमा स्वराज भारतीय जनता पार्टी की पहली राष्ट्रीय मंत्री बनी। इसके बाद वो भाजपा की पहली महिला राष्ट्रीय प्रवक्ता भी बनी। वे कैबिनेट में भाजपा की पहली महिला मंत्री है।
सुषमा स्वराज भारत की संसद में सर्वेक्षेष्ठ सांसद का सम्मान पाने वाली पहली महिला है। इसके अलावा देश की राजधानी दिल्ली की वो पहली महिला मुख्यमंत्री भी है। सुषमा स्वराज को देश की पहली महिला विदेश मंत्री होने का गर्व भी प्राप्त है।
सुषमा स्वराज आज भी विदेश मंत्री के तौर पर देश के विकास में योगदान दे रही है कई देशों का दौरा करती है, दूसरे देशों के साथ अपने देश के संबंधो को अच्छा बनाने का जिमा उनके ऊपर है पर वो इस काम को इस उम्र में भी बहुत अच्छे से कर रही है। साथ ही अपने घर को भी संभाल रही है।
अक्सर कई कामों को हम करना चाहते है लेकिन नहीं कर पाते, ये सोचकर की समाज क्या कहेगा, क्या मैं कर पाऊंगी, क्या ये मेरे लिए सही है। पर हमें इस बात को समझना होगा कि शुरुआत कहीं ना कहीं से जरुर होती है। फिर वो आप से क्यों नहीं।
                                              thanks

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